बांगरमऊ उन्नाव दयाल पुरुष संत दर्शन सिंह जी महाराज एवं परम संत राजिंदर सिंह जी महाराज के जन्मोत्सव पर राजिंदर आश्रम में सत्संग तथा कवि सम्मेलन व मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें कवि व शायरों ने अपने बेहतरीन कलाम सुनाकर खूब वाहवाही लूटी।
कवि सम्मेलन व मुशायरेकी शुरुआत
नौजवान कवि व शायर फजलुर्रहमान “फ़ज़्ल” बांगरमवी से हुई। उन्होंने पढ़ा ” बिजलियां सख्त चट्टानों पर गिराया न करो, आग मौजों में समंदर की लगाया न करो। सुकून चाहो अगर चैन से जीना चाहो, अपनी बस्ती में कभी अपना- पराया न करो ” को काफी पसंद किया गया। उसके बाद लखनऊ से आए वरिष्ठ कवि व शायर कुंवर कुसुमेश ने पढ़ा–” सबको शिकायतें हैं बहुत इस जहान से, इठला रहा है वक्त मगर इत्मीनान से। गैरों के घर की आग बुझाने में जो लगा, उठने लगा धुआं है उसी के मकान से “, जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए लखनऊ के मशहूर वरिष्ठ कवि व शायर दर्द लखनवी ने पढ़ा–” तुम्हें लगता है तुम कुछ हो मुझे लगता है मैं कुछ हूं, बसेरा छोड़कर पंछी निकल जाएगा अंबर में। पता लग जाएगा उस दिन ना तुम कुछ हो ना मैं कुछ हूं। वरिष्ठ कवि राजीव वर्मा “वत्सल” ने अपना कलाम पढ़ा–” पाना तो जिंदगी में सभी चाहते मंजिल, लेकिन नहीं जरूरी सभी को ही हो हासिल। दीनी मुकाम भी तो बहुत मायने रखता, पर है जरूरी उसके लिए मुर्शिद-ए- कामिल। इसके बाद आध्यात्मिक सत्संग हुआ। इस मौके पर भंडारा का भी आयोजन किया गया। भंडारे में सैकड़ों सत्संगियों ने प्रसाद ग्रहण किया। कार्यक्रम में शिव कुमार रस्तोगी, रमाशंकर रस्तोगी उर्फ पुत्तन, संदीप कुमार रस्तोगी उर्फ गोपाल, पुनीत शुक्ला उर्फ पिंकू, राघव मिश्र व फजलुर्रहमान सहित सैकड़ों लोगों ने भाग लिया।
रिपोर्ट अनिल यादव बांगरमऊ संवाद दाता