निवालों को तरसे नन्हें खिलाड़ी, व्यवस्था क्यों और किसने बिगाड़ी…?
टीकमगढ़। खेल के क्षेत्र में टीकमगढ़ का नाम जिस सम्मान के साथ लिया जाता है, वह सारा मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि समूचा देश जानता है। हांकी की बुनियाद रखने वाले जिला टीकमगढ़ में ही जब नन्हें खिलाडिय़ों को भूखा रहना पड़े और यहां के जनप्रतिनिधियों की मौन स्वीकृति रहे, तो इसे क्या माना जाये। यहां के अफसरों की मनमानी और भ्रष्टाचार की मिली जुली कहानी ने जिले को ही शर्मसार किया है। जिले की पहचान को दागदार करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कराई जाए, जिससे यहां आने वाले खिलाडिय़ों के अभिभावकों की नाराजगी दूर हो सके और खेल के क्षेत्र में मिले सम्मान को बरकरार रखा जा सके। सरकार खिलाडिय़ों को सुविधा देने और उनके रहने आदि की बेहतर व्यवस्था जुटाने के बड़े-बड़े दावे करती आ रही है। ऐसे में यहां आयोजित स्टेट खेल प्रतियोगिता में यहां के शिक्षा विभाग और क्रीड़ा अधिकारी ने जो मनमानी और लापरवाही का नया इतिहास रचा है, वह शर्मनाक ही कहा जाएगा। खिलाडिय़ों को न तो ठहरने के खास इंतजाम किये गये और न ही उनके भोजनादि का बेहतर प्रबंध रहा। यहां आये छोटे-छोटे सागर जिले के बच्चों के साथ जिस तरह का रवैया अपनाया गया, वह किसी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। उन्हें दिये गये भोजन के घटिया होने को लेकर हालांकि कलेक्टर द्वारा नोटिस जारी किये गये हैं। जहां छतरपुर से आये खिलाडिय़ों को स्वादिष्ट भोजन उनके खेल अधिकारियों द्वारा दिया गया, वहीं सागर से आये खिलाडिय़ों को दिये गये भोजन की आलोचना की गई। अनेक खिलाड़ी भूख रहे। इस प्रतियोगिता के दौरान प्रशासनिक अधिकारियों ने खानापूर्ति की है। न तो व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया और न ही क्रीड़ा अधिकारी की लापरवाही पर अंकुश ही लगाया गया। इस प्रतियोगिता के दौरान आये खिलाड़ी व्यवस्थाओं को लेकर नाराज नजर आये। स्थानीय शिशु मंदिर में केवल निवाड़ी और टीकमगढ़ के खिलाडिय़ों के ठहरने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन बाद में अन्य स्थानों के खिलाड़ी भी यहां ठहराये गये, जिनके लिये न तो ठीक से शौचालय की व्यवस्था की गई थी और न ही बाथरूम आदि का प्रबंध था। यहां ठहरे खिलाड़ी घंटों तैयार होने के लिये कतार में लगे रहे। आज यहां क्रीड़ा प्रतियोगिता का किसी तरह समापन हो गया। समापन के दौरान इंद्रदेव का प्रकोप नजर आया और हांकी खिलाडिय़ों का फैसला पैनाल्टी शॉट आउट से किया गया।
……..मनोज सिंह/जिला ब्यूरो