बांगरमऊ उन्नाव।
नगर के मुख्य मोहल्ला न्यू कटरा स्थित आरडीएस इंग्लिश मीडियम स्कूल प्रांगण में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के षष्टम दिवस कथा व्यास ने गोवर्धन भगवान की पूजा का वर्णन कर श्रद्धालु भक्तों को भावविभोर कर दिया। उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने सात कोसीय गोवर्धन पर्वत को अपने नख पर उठाकर इंद्र के कोप से ग्वाल बालों की रक्षा की।
गोधूलि पुरम वृंदावन धाम से पधारे विख्यात कथा व्यास डॉ राम कृपाल त्रिपाठी ने बताया कि भगवान कृष्ण ने ब्रज वासियों को इंद्र की पूजा करने से मना किया। उन्होंने बृज वासियों को बताया कि इंद्र सिर्फ जल बरसाएंगे। यह भी सही है कि जल ही जीवन है। किंतु ब्रह्म का सानिध्य प्राप्त हो जाए तो मनुष्य के प्राण हरण करने की शक्ति किसी में भी नहीं है। उन्होंने कहा कि जल से अन्न, अन्न से यज्ञ, यज्ञ से कर्म और कर्म से ब्रह्म उत्पन्न होता है। जबकि ब्रह्म परमात्मा से प्रकट हुआ है। कर्म के कारण ही मानव ने जन्म लिया और कर्म से ही दुख, भय व मृत्यु आदि उत्पन्न होते हैं। उन्होंने बृज वासियों को समझाया कि इंद्र का घमंड चूर करना है। तभी इंद्र के निर्देश से मेघ गरजने लगे और तेज वर्षा होने लगी। भगवान कृष्ण ने गोप ग्वालों की रक्षा हेतु सात कोस की परिधि के गोवर्धन पर्वत को अपने नख पर उठा लिया। भगवान कृष्ण 7 दिन और 7 रात्रि गोवर्धन पर्वत को अपने नख पर धारण किए रहे। उन्होंने भावार्थ बताया कि 7 दिन और 7 रात्रि ही मानव का जीवन है। यदि परमपिता परमात्मा का ध्यान करता रहे तो इंद्र सहित कोई भी देव अथवा दनुज बाल बांका नहीं कर सकता। कथा व्यास ने श्रीमद्भागवत महापुराण के श्लोक की व्याख्या करते हुए भगवान कृष्ण की सुंदरता का अद्भुत वर्णन किया। पंडित राम देव शास्त्री ने वेद मंत्रोच्चार के साथ गोवर्धन भगवान का पूजन कराया। अंत में प्रदीप कुमार, पुनीत कुमार, शुभम, सुबोध, मोहित, आशीष एवं श्याम जी ने गोवर्धन भगवान की आरती कर प्रसाद वितरित किया।