मैं कामकाजी स्त्री हूं
वर्किंग वुमन उठती हूं सुबह तड़के नर्म गर्म बिस्तर को तज के बनाती हूं पूरे घर की चाय ...
Read moreवर्किंग वुमन उठती हूं सुबह तड़के नर्म गर्म बिस्तर को तज के बनाती हूं पूरे घर की चाय ...
Read moreसोचती हूं व्यथित हो बार बार कैसा था पैंतीस टुकड़ों वाला प्यार! मारा काटा फेंक दिया लेकर धार दार ...
Read moreफुर्सत गिरवी पड़ी हुई है। जिम्मेदारियों के बाज़ार में। और सभी को लगता है। रौनक नही रही अब त्योहार ...
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