Desk : बुधवार 23 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। 50 मिनट तक चली इस बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति शी से कहा कि सीमा पर शांति, सम्मान और आपसी विश्वास भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। दोनों नेता ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस के शहर कज़ान पहुंचे थे, जहां उन्होंने सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय वार्ता की। गौरतलब है कि जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसके बाद से दोनों के संबंधों में गतिरोध पैदा हो गया था। हालांकि, रूसी शहर कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर हुई द्विपक्षीय वार्ता में दोनों नेताओं ने सीमा विवाद को जल्द से जल्द सुलझाने, आपसी सहयोग और आपसी विश्वास बनाए रखने पर जोर दिया। करीब 50 मिनट की बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता हमारे संबंधों की नींव बनी रहनी चाहिए। मुझे पूरा विश्वास है कि हम खुले दिमाग से बात करेंगे और हमारी चर्चा रचनात्मक होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- हम पांच साल बाद औपचारिक रूप से मिल रहे हैं। पिछले चार सालों में सीमा पर पैदा हुई समस्याओं पर बनी सहमति का हम स्वागत करते हैं। सीमा पर शांति बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। इससे पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा- दोनों देशों को अपने मतभेदों को सही तरीके से निपटाना चाहिए। हमें अपने विकास के सपनों को साकार करने के लिए संवाद और आपसी सहयोग को मजबूत करना चाहिए। उन्होंने कहा- भारत और चीन को अपने संबंधों को स्थिर रखने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए, जिससे दोनों देशों के विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिल सके। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी के बीच बातचीत के बाद भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मीडिया को बताया कि दोनों नेताओं ने वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर गश्त करने के समझौते का स्वागत किया है। विदेश सचिव ने कहा कि दोनों देशों के बीच मुद्दों को सुलझाने के लिए विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किए गए हैं। भारत की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन की ओर से विदेश मंत्री वांग यी विशेष प्रतिनिधि होंगे। दोनों के बीच जल्द ही औपचारिक बैठक होगी। इससे पहले 21 अक्टूबर को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गश्त करने को लेकर भारत और चीन के बीच समझौता हो गया है। इससे मई 2020 से पहले जैसी स्थिति हो जाएगी। दोनों देश कई दौर की सैन्य कमांडर और कूटनीतिक बैठकों के बाद इस सहमति पर पहुंचे।