रोहतक के सतलोक आश्रम हिंसा मामले में आरोपी संत रामपाल सहित 23 लोगों को रोहतक जिला अदालत ने बरी कर दिया है। फैसला एडीशनल सेशन जज राकेश कुमार ने सुनाया है। संत रामपाल पर करौंथा आश्रम में हुई हिंसा के मामले में धारा 302, 307, 323 के अलावा कई अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। रामपाल के वकील जय प्रकाश गक्खड़ ने बताया, ”रोहतक एडिशनल सेशन जज राकेश कुमार की अदालत ने सबूत के अभाव में संत रामपाल को रिहा किया है। वहीं, तीन आरोपियों को दो-दो साल कैद की सजा और पांच-पांच हजार जुर्माना लगाया है।
रोहतक में 16 साल पहले साल 2006 में हुए करौंथा कांड में जिला अदालत ने मंगलवार को फैसला सुनाया। इसमें सतलोक आश्रम के संचालक संत रामपाल को बरी कर दिया गया। रामपाल को लेकर कोर्ट में गवाही की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है।
हत्या, जानलेवा हमला करने सहित विभिन्न अन्य धाराओं के तहत दर्ज केस में सतलोक आश्रम करौंथा के संचालक रामपाल सहित 38 लोग नामजद थे। उनमें से पांच की मौत हो चुकी है और पांच आरोपियों को भगोड़ा घोषित किया जा चुका है। फिलहाल रामपाल के भाई महेंद्र दास पर अभी भी केस चल रहा है।
रोहतक मेंएडीशनल सेशन जज राकेश कुमार की कोर्ट में मंगलवार को हुई सुनवाई में संत रामपाल सहित 23 आरोपियों को बरी कर दिया गया है। वहीं, तीन आरोपी सुनील, कृष्णकांत, देवेंद्र को दो-दो वर्ष की सजा सहित पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. बाकी लोगों की मौत हो चुकी है।
सुनील, कृष्णकांत, देवेंद्र को दो-दो साल की जुर्माना सहित सजा सुना गई थी। मगर, केस की सुनवाई के दौरान देवेंद्र और कृष्णकांत सुनाई गई सजा काट चुके थे। इसके चलते कोर्ट ने उन्हें भी रिहा कर दिया। वहीं, सुनील की सजा बाकी रह गई थी. उसे जमानत मिल गई है।
गौरतलब है कि संत रामपाल के बंदी छोड़ भक्ति मुक्ति ट्रस्ट ने गांव करौंथा में सतलोक आश्रम खोला था। इसका आर्य समाजियों और आस-पास के ग्रामीणों ने विरोध किया।संत रामपाल की आर्य समाज पर की गई टिप्पणी के बाद 12 जुलाई 2006 को सतलोक आश्रम को हजारों लोगों ने घेर लिया था।
संत रामपाल के वकील जयप्रकाश गख्खड़ ने बताया कि इस दौरान हुई झड़प में 64 लोग घायल हुए थे और एक व्यक्ति की जान चली गई थी। मृतक की मौत संबंधी सबूत न मिलने के चलते ही संत रामपाल सहित अन्य 23 आरोपियों को बरी किया गया है।