उन्नाव। महात्मा गांधी पुस्तकालय कमला भवन में जन एकता मुहिम इंसानी बिरादरी द्वारा आयोजित आज़ाद भारत में इंसानी बिरादरी के जनक खान अब्दुल गफ्फार खान (सीमांत गांधी) के स्मृति दिवस पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुस्लिम लीग के जिला अध्यक्ष मोहम्मद अहमद ने कहा कि खान अब्दुल गफ्फार खान बरतानवी साम्राज्य के ख़िलाफ़ भारत की जंगे आजादी के जांबाज सिपाही और शानदार रहनुमाओं में एक थेवह कांग्रेस की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे तीन मौकों पर उनका नाम कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित किया गया जिसे उन्होंने विनम्रतापूर्वक स्वयं की अस्वीकार कर दिया वे गांधीजी के अनुयायी थे तथा अविभाजित भारत के उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत में (अब पाकिस्तान में) बस्सी पश्तो भाषा भाषा पख़्तूनों ने पठानों के सर्वमान्य नेता रहे खान अब्दुल गफ्फार खान बैतूलमुकद्दस गए वहीं दूसरी पत्नी का सीढ़ियों से गिरने से इंतकाल हो जाने के कारण आगे विवाह ना करने का फैसला किया यात्रा के दौरान पश्चिम व दक्षिण पूर्व एशिया के मुस्लिम देशों मिश्र फिलिस्तीन सीरिया अरब ईरान इराक तुर्की लेबनान अफगानिस्तान आदि के प्रतिनिधियों से मिले सियासी हालातों को समझ बरतानवी उपनिवेशवाद को ध्वस्त कर कौमी आजादी हासिल करने के मुश्तरका उद्देश्य की आत्मसात करमजहबी एकता का जिहाद के स्थान पर कौमी आजादी की जद्दोजहद का संकल्प लेकर मादरे वतन लौटे सन 1947 मार्च को गांधी जी के साथ बंगा ग्रस्त बिहार में शांति सद्भावना के लिए दौरा किया लॉर्ड माउंटबेटन के साथ मुस्लिम लीग एवं कांग्रेस की वार्ता में कांग्रेस प्रतिनिधि के तौर पर शामिल धर्म के आधार पर देश विभाजन प्रस्ताव का कड़ा विरोध एवं विभिन्न भाषा भाषी प्रांतों के स्वायत साक्षी का को किस अंग के रूप में समाजवादी लोकतांत्रिक संगी गणराज्य के रूप में आजाद भारत का प्रस्ताव रखा ऐसे महान भारत रत्न खान अब्दुल गफ्फार खान को हम तहे दिल से खिराजे अकीदत पेश करते हैं
इस अवसर तमाम बुद्धिजीवियों ने अपने विचार वयक्त किए।
संगोष्ठी में मुख्य रूप से राजीव हेम केशव,अलोक,उषा, मास्टर नसीर, अखिलेश तिवारी, संजय जयसवाल, दीपक मालवीय, मोहम्मद जाबिर, संजीव श्रीवास्तव, नफीस अहमद, कमाल दानिश, आदि लोग उपस्थित रहे।