उन्नाव। श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन श्रीमती माधुरी देवी द्वारा उन्नाव में दरोगाबाग, सिविल लाइंस उन्नाव में हो रहा है, जहाँ ब्यास पंडित मनोज कुमार दीक्षित शास्त्री विश्राम दिवस पर लीला पुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण की कथा का रसपान कराते हुए गोदान के महत्व को बताया। कलियुग के प्रभाव का वर्णन किया।
राजा नृग की गिरगिट बनने की रहस्यमयी कथा का वर्णन किया। यमदेव ने राजा नृग का स्वागत किया और कहा कि आपके पुण्य बहुत है और पाप कम है। इसलिए आप जो पहले भोगना चाहते हैं, वो कहें , इस पर राजा नृग ने पाप को पहले भोगने की इच्छा जताई, जिस पर उन्हें गिरगिट की योनि प्राप्त हुई। आगे ब्यास जी ने उषा और अनिरुद्ध के विवाह के प्रसंग के साथ कृष्ण और सुदामा जी की मित्रता की कथा का रसपान कराया। सुदामा जी कुलपति थे जिन्होंने सादगी के साथ जीने का संकल्प लिया था। एक बार सुदामा जी की पत्नी ने सुदामा जी से कहा कि अपने बताया था की द्वारिकाधीश जी आपके बचपन के मित्र हैं। इसलिए आप उनके यहां क्यों नहीं चले जाते। इस पर सुदामा जी कहते हैं कि हमारे जीवन मे कोई कामना नहीं बची, इसपर उनकी पत्नी ने कहा कि हमें भी कोई लालसा नहीं लेकिन आप भगवान के दर्शन को तो जा सकते हैं ना, फिर सुदामा जी राजी हो गए और द्वारिकापुरी चले गए। वहां जाकर वो चकित होकर देखते हुए द्वारपाल से अपने मित्र भगवान कृष्ण के निवास स्थान को पूछते हैं।
द्वारपाल के सुदामा के आगमन की बात बताने पर भगवान कृष्ण दौड़ पर द्वार पर आते हैं और सुदामा के चरणों पर माथा टेक देते हैं और फिर अपने गले से लगा लेते हैं। उनके प्रेम को देख कर सुदामा जी कहते हैं कि जिस प्रकार आपने प्रेम कृपा किया उस तरह कोई नहीं कर सकता।
भगवान फिर उन्हें महल में ले जाकर उनके चरणों की सेवा की। आगे ब्यास जी ने भगवान के मोहिनी रूप और भस्मासुर के भस्म होने की कथा का वर्णन किया, दत्तात्रेय जी के 24 गुरु का वर्णन किया। फिर ब्यास जी कहते हैं कि राजा परीक्षित के स्वर्गलोक जाने के बाद शुकदेव जी वन में साधना के लिए चले गए। ब्यास जी का पूजन माधुरी देवी, हरिवेंद्र सिंह, वरिष्ठ पत्रकार राम नरेश त्रिवेदी, अनिरुद्ध दीक्षित, रवींद्र पाल सिंह, आशुतोष दीक्षित, शशिप्रभा सिंह, राजीव सिंह, अमिता सिंह, सुरेश कुमार द्विवेदी, आदि के साथ गीतकार डी.पी. सिंह (दुर्गा कृष्णा) एडवोकेट व पूजा सिंह ने किया। ब्यास पूजन के साथ श्रीमद्भागवत कथा का विश्राम हो गया। उसके बाद फिर विश्राम दिवस की कथा के अवसर पर मधुर भजनामृत का रसपान पंडित हरिओम , शोभित व गीतकार / गायक दुर्गा कृष्णा द्वारा कराया गया। फिर आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया। हरिवेंन्द्र सिंह, रवींद्र चौहान ने सभी भक्तों का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि पूजा, हवन और भंडारा 6 जनवरी 2023 को होगा।