नमक से नमक को कभी खाया नही जाता
खौफ से गलत को सही ठहराया नहीं जाता
परोस दो लज्जत दार झूठ थाली में यारों
सुना है उनसे सच अब पचाया नही जाता
थक गई है मां लोरियां गाते गाते अब
भूखे पेट बच्चों को सुलाया नही जाता
जब तय हो पहले से परिणाम इम्तेहानो के
ऐसे में नौ जवानों को पढ़ाया नही जाता
फासला दरमियां का कम हो भी तो कैसे
उनसे आया नही जाता हमसे बुलाया नही जाता।
जिन आंखों में लगा हो याद का सुरमा
उन आंखों को कभी ऐसे रूलाया नही जाता
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कैसे जाऊं उनकी महफिल में सोचती हूं मैं
मुझ से मेरे जज़्बात को छुपाया नही जाता
प्रज्ञा पांडेय मनु वापी गुजरात