मनोज सिंह/ जिला ब्यूरो
टीकमगढ़। देश के जाने माने कवि नीरज जी की पंक्तियां आज अनायास ही याद आने लगीं कि- एक उम्र लगती है, आशियां बनाने में, तुम नहीं झिझकते हो, बस्तियां जलाने में…। इसी तरह कहा जाए कि एक उम्र लगती है पेड़ों को लगाने में, यह नहीं झिझकते हैं, वनों को मिटाने में…। पेड़ों को संतों एवं सरकार ने भले ही पुत्रों की संज्ञा दी हो। कहा तो यहां तक गया है कि एक पेड़ सौ पुत्रों के समान होता है। यहां पेड़ रूपी पुत्रों की न तो सिसकारियां सुनी जा रही हैं और न ही उन्हें बचाने के प्रयास किये जा रहे हैं। बिना किसी कारण के जीते जागते पेड़ों पर आरियां चलाकर उनका अस्तित्व मिटाना लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। कहा जा रहा है कि एक ओर प्रशासन जिले भर में पर्यावरण संतुलन की दृष्टि से जहां पौधारोपण करने के मुहिम चला रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन के जिम्मेदार लोग ही सालों पुराने पेड़ों को जमींदोज करने पर उतारू हैं। नये पेड़ लगते ही मर रहे हैं, तो पुरान हरेे पेड़ों को काटा जा रहा है। इस तरह से पर्यावरण की रक्षा कहां तक होगी, यह सवाल आज ज्वलंत होता जा रहा है। इन दिनों शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कला संकाय टीकमगढ़ परिसर में लगे अधिकांश पेड़ों को काटा गया है। बीते रोज ही एक दर्जन से अधिक पेड़ों की कटाई को लेकर अटकलों का दौर जारी बना हुआ है। छात्रों एवं आम नागरिकों ने कालेज परिसर की सुंदरता को नष्ट करने एवं पुराने पेड़ों की बिना अनुमति के ही कटाई करने को लेकर नाराजगी जाहिर की है। इस संबन्ध में प्रशासन का ध्यान अपेक्षित करते हुये उचित कार्रवाई किये जाने पर जोर दिया जा रहा है। कयास तो यह भी लगाये जा रहे हैं कि आखिर यह कटे हुये पेड़ जा कहां रहे हैं। क्या इनकी विधिवत नियमानुसार नीलामी हो रही है, क्या यह वन विभाग के सुपुर्द किये गये हैं, या फिर इन पेड़ों की बिक्री भी मनमाने ढंग से की जा रही है। सारा मामला जांच का विषय बना हुआ है। बताया गया है कि स्नात्कोत्तर महाविद्यालय में लगे पेड़ों की अंधाधुंद कटाई कर यहां के अधिकांश पेड़ों को साफ कर दिया गया है। बीते रोज ही यहां लगे एक दर्जन से अधिक पेड़ों को बिना किसी अनुमति के काट दिया गया है। हरे पेड़ों की इस तरह अंधाधुंद कटाई ने लोगों के बीच अनेक प्रकार के सवाल पैंदा किये हैं। इस संबन्ध में वनाधिकारी ने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर की बात कह कर पल्ला झाड़ लिया है। लकड़ी से संबन्धित मामला वन विभाग का ना होना आश्चर्च का विषय है। जबकि कहा जाता है कि हरे पेड़ों को काटने से पहले मेजरमेंट तैयार किया जाता है। यह पेड़ यदि सूखे हों, या उन्हें काटना आवश्यक हो, तो ही पेड़ों को काटा जाता है। लेकिन यहां एक ओर पौधारोपण कर स्कूलों को हरा भरा किया जा रहा है, तो वहीं यहां कालेज परिसर में लगे हरे भरे पेड़ों को काट कर मैदान बनाया जा रहा है। स्नातकोत्तर महाविद्यालय की गतिविधियों लंबे समय से चर्चाओं में चली आ रही है। यहां के कार्यों एवं शिक्षण व्यवस्था के साथ ही मची भर्राशाही ने आम लोगों में असंतोष पैंदा किया है। छात्र-छात्राओं द्वारा भिन्न मांगों को लेकर आंदोलन भी आम हो गये हैं। कालेज प्रबंधन की मनमानी और अव्यवस्थाओं में सुधार किये जाने पर जोर दिया जा रहा है।
यह देखिए प्रशासन नजारा
पेड़ों की नीलामी हुई है, जो काटे जा रहे होंगे..
हरे भरे पेड़ों की कटाई के संबन्ध में प्राचार्य श्री चतुर्वेदी का कहना है कि जिन पेड़ों की कटाई की जा रही है, उनकी नीलामी की गई थी। इन पेड़ों में यूकेलिप्टस के अलावा कुछ और पेड़ भी शामिल हैं। नीलामी की राशि एक लाख पच्चीस हजार बताई गई है। प्राचार्य श्री चतुर्वेदी ने पेड़ों की नीलामी किन कारण से की है, फिलहाल यह जानकारी नहीं मिल सकी है। उन्होंने कहा कि नीलामी वाले पेड़ों को ही काटा गया होगा, कालेज प्रबंधन द्वारा किसी तरह के पेड़ों की कटाई नहीं की जा रही है। मामला जो भी हो, लेकिन पेड़ों की कटाई की बात जरूर सामने आई है, जो उचित नहीं जान पड़ रहा है। एक पेड़ सौ पुत्र समाना, तो क्या फिर उचित है।
इनका कहना -एमपी सिंह (डीएफओ), टीकमगढ़
कालेज परिसर में लगे पेड़ों की कटाई का मामला हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। यदि पेड़ों की कटाई की जा रही है और इस संबन्ध में कोई सूचना नहीं दी गई है, तो यह मामला राजस्व विभाग का है। इस संबन्ध में वहीं कुछ बता सकेंगे। यदि शासकीय वन भूमि से पेड़ों की कटाई की जाए, तो वह कार्रवाई कर सकेंगे।
एमपी सिंह
डीएफओ, टीकमगढ़
इनका कहना है -सीपी पटेल (एसडीम) टीकमगढ़
मुझे पेड़ों के काटे जाने के संबन्ध में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है, यदि पुराने एवं हरे पेड़ बिना अनुमति या सूचना के काटे जा रहे हैं, तो वह गलत है। इस संबन्ध में जांच की जाएगी। जो भी पेड़ों की कटाई के मामले में दोषी होगा, निश्चित ही कार्रवाई की जाएगी।