उन्नाव: हसनगंज तहसील अंतर्गत ग्राम खैराबाद में हो रही कैसेट गायक पंडित नवीन कुमार मिश्रा की 7 दिवसीय श्रीराम कथा में पंचम दिवस की कथा में केवट और प्रभु राम संवाद सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए।
जासु बियोग बिकल पसु ऐसें, प्रजा मातु पितु जिइहहिं कैसें
बरबस राम सुमंत्रु पठाए, सुरसरि तीर आपु तब आए।
श्रीराम के वन जाने की सुचना सुनकर अयोध्यावासी अधीर हो रहे हैं और अयोध्यावासी ही नही राम के वियोग में पशु , पक्षी भी इस प्रकार व्याकुल हैं, तो उनके वियोग में प्रजा, माता और पिता कैसे जीते रहेंगे?
जब रामचन्द्रजी ने देखा कि कोई वापस जाने को तैयार नही है तो सुमंत्र से अर्ध रात्रि में ही रथ को इस तरह से दूर ले जाने को कहा कि जिससे रथ का कोई निशान शेष न रहे और गंगा नदी के पास से जबर्दस्ती सुमंत्र को भी लौटाया। फिर आप गंगाजी के तीर पर आए। यहां प्रभु का परम भक्त केवट उनके इंतजार में आपने समय की प्रतीक्षा कर रहा था कि कब प्रभु दर्शन देंगे। प्रभु की लाली भी कोई जान नही सकता।
मागी नाव न केवटु आना। कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना॥
चरन कमल रज कहुँ सबु कहई। मानुष करनि मूरि कछु अहई।
राम ने केवट से नाव माँगी, पर वह नाव नहीं लाया और वह कहने लगा- मैंने तुम्हारा मर्म (भेद) जान लिया। तुम्हारे चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं कि वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है,जिसके छूते ही पत्थर की शिला सुंदरी स्त्री हो गई (मेरी नाव तो काठ की है)। काठ पत्थर से कठोर तो होता नहीं। मेरी नाव भी मुनि की स्त्री हो जाएगी और इस प्रकार मेरी नाव उड़ जाएगी, मैं लुट जाऊँगा ।मैं तो इसी नाव से सारे परिवार का पालन-पोषण करता हूँ। दूसरा कोई धंधा नहीं जानता। हे प्रभु! यदि तुम अवश्य ही पार जाना चाहते हो तो मुझे पहले अपने चरणकमल पखारने (धो लेने) के लिए कह दो।
हे प्रभु मैं आपको ऐसे पार नही ले जाऊंगा आप पहले मुझे अपने चरणों को धोने दीजिए। केवट की हठ के आगे राम भी मना नही कर सके । केवट ने प्रभु के चरण धोकर चरणामृत पिया और अपने परिवार को भी दिया।
7 दिवसीय चल रही श्रीराम कथा की पूर्णाहुति व हवन और प्रसाद वितरण शुक्रवार 4 नवम्बर को किया जाएगा।
अर्जून तिवारी उन्नाव