उत्तर प्रदेश में खबर कवर करना अब खतरों से खाली नहीं नजर आ रहा ।-क्योंकि खबर कवर करने के दौरान पत्रकारों को अपराधियों से भ्रष्टाचारियों से ज्यादा खतरा अधिकारियों से है।
जो पत्रकारों को जवाब देने से कतराते ही हैं साथ ही पत्रकारों के साथ अभद्र व्यवहार करने से भी पीछे नहीं है।
ऐसे मामले आए दिन देखने को मिल रहे हैं नतीजा पत्रकार एकत्रित होते हैं धरना करते हैं और न्याय की गुहार उच्च अधिकारियों से लगाकर अपनी गरिमा को बचाए रखने का अपील करते हैं।
जिस पर कोई खास एक्शन देखने को नहीं मिलता और पत्रकारों को दबाने के लिए पत्रकारों से उल्टा सीधा सवाल करके पत्रकारों को ही गलत साबित करने का एक कहानी रच दिया जाता है।
फिर भी तमाम ऐसे पत्रकार हैं जिनको इस बात की समस्या नहीं कि आज इनके साथ ऐसा हुआ है तो कल हमारे भी साथ हो सकता है इस सोच को ना रखकर कुछ लोग अधिकारियों से तथा जो लोग पत्रकारों से अभद्रता करते हैं उनका समर्थन करने के लिए उनके ऑफिस उनके कार्यालय उनके घर जाकर अपने पत्रकार बंधुओं की कमजोरी बताने का काम करते हैं जिससे आए दिन निर्भीक निष्पक्ष लिखने वाले पत्रकारों को ऐसे लोगों का शिकार होना पड़ता है।
यह बात तमाम लोगों को कड़वा लग सकता है परंतु सच्चाई यही है।
इसलिए सच दिखाने का जज्बा सच बोलने का हिम्मत रखकर निर्भीक पत्रकारिता करनी है जनता के हित में देश में पत्रकारिता करके देश को मजबूत बनाना है तो पत्रकारों को यह बात समझना होगा कि हमारी सोच अलग-अलग जरूर हो सकती है परंतु हमारी कलम हमारा भाईचारा हमारा एकता एक होना चाहिए।
हम किसी चौकी थाने में बैठकर किसी पत्रकार की बुराई नहीं करेंगे जो वाकई में पत्रकार है हम किसी पत्रकार की बदनामी को एक फार्मूला की तरह उपयोग करके उसका प्रचार प्रसार नहीं करेंगे जिससे हमारी पत्रकारिता को शर्मसार होना पड़े और जिसका फायदा उठाकर अपराधी भ्रष्टाचारी तथा अधिकारी हमें नीचा दिखाने में सफल हो जाए।
आज मीडिया को लोग गोदी मीडिया दलाल मीडिया बिकाऊ मीडिया इसलिए कहते हैं क्योंकि कुछ लोगों ने ऐसी हरकत करके जनता के दिल में जगह बनाने के बदले नफरत पैदा कर चुके हैं साथ ही प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सोशल मीडिया को तीन हिस्सों में बांट कर पत्रकारों को तीन अलग हिस्सों में कर दिए हैं जिससे लोगों को लगता है की किसी प्रिंट मीडिया के पत्रकारों पर हावी होंगे तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वह सोशल मीडिया के पत्रकार उसका समर्थन नहीं करेंगे और किसी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को टारगेट करेंगे तो प्रिंट मीडिया तथा सोशल मीडिया के पत्रकार सामने नहीं आएंगे।
और सोशल मीडिया को तो आसानी से मसल कर रख देंगे यह हवाला देकर की यूट्यूब फेसबुक ट्यूटर व्हाट्सएप पर पत्रकारिता करने वाले पत्रकार हो ही नहीं सकते।
यह कमी हमारे कुछ पत्रकार बंधुओं में भी है जो अपने को पत्रकार के हैसियत से ना समझ कर प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया समझ कर अलग-अलग हिस्सों में बढ़ते जा रहे हैं।
इसलिए सिस्टम से सवाल करना है सच को दिखाना है अपनी कलम की छवि को बचाना है तो प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया सोशल मीडिया का हवाला छोड़कर हमें सिर्फ यह समझना होगा कि हम सब एक हैं क्योंकि जो लोग प्रिंट मीडिया में लिखते हैं वही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया खबरों को वीडियो के माध्यम से दर्शाती है तो वही सोशल मीडिया के पत्रकार लिखते भी हैं और वीडियो जारी करके लोगों को खबरों से अवगत कराते हैं इसलिए पत्रकारों में मतभेद ना करके देश के लिए समाज के लिए सच्ची सही सटीक खबरों को अपने-अपने प्लेटफार्म से परोसने का काम करना चाहिए और बेहिचक सिस्टम से सवाल करना चाहिए यदि कोई रुकावट पड़ता है तो अपनी एकता दिखा कर यह साबित करना चाहिए कि हम भले तीन हिस्सों में अलग अलग होकर अपना कार्य करते हैं परंतु हम सब एक हैं ।