मनोज सिंह/ जिला ब्यूरो
टीकमगढ़। नगर की साहित्यिक संस्था मप्र लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 293वीं कवि गोष्ठी संत रविदास जयंती एवं बसंत पर केन्द्रित आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़ में आयोजित की गई। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता गीतकार वीरेन्द्र चंसौरिया ने की। मुख्य अतिथि शायर अनवर खान साहिल व विशिष्ट अतिथि सियाराम अहिरवार एवं एसआर सरल रहे। कवि गोष्ठी का शुभारंभ मीनू गुप्ता ने सरस्वती बंदना से किया। इसके पश्चात् उन्होंने अपना गीत कुछ इस तरह प्रस्तुत किया कि पीली-पीली सरसों फू ली, पीली-पीली फु लवारी। पीले-पीले फ ूल खिले हैं, पीली हो गई धरती।। बल्देवगढ़ के प्रमोद मिश्रा ने सुनाया कि- कर गये गैल खुलासी, बाबा रविदासी। एक बेर मानव कौ जीवन नै करियों रे हांसी।। एसआर सरल ने सुनाया कि भौंरा भन्न-भन्न भन्नावें, कलियन पै मंडराबै। सुनकैं भौरन की गुंजारें, कलियाँ खिल-खिल जाबैं।। मप्र लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव राना लिधौरी ने दोहे पड़े कि मन भावन ऋ तु आ गयी, बिखरा पड़ा बसंत। पीले-पीले सब दिखे, जैसे कोई संत।। बसंत तो बिखरा पड़ा, देखों अपने पास। मन की आँखें चाइए, आया है मधुमास।। वीरेन्द्र चंसौरिया गीत सुनाया कि आया बसंत लेकर मन भावन हवायें, आओ करें स्वागत सब मधुर गीत गाये। रामगोपाल रैकवार ने गीत सुनाया कि हँस रई जुँदइया रे, तरा मुस्कया रय। पूस की मड़इया में गुनगुडया रय। कृष्ण कुमार रावत किस्सू ने रचना पड़ी ऋ तुओं का राजा बंसत, चारों ओर फैली सरसों सा बसंत। डॉ प्रीति सिंह परमार ने कविता पड़ी सर्दियों को कर दो अब तुम विदा, बसंती पवन पे बस हो रहे है फि दा।। शायर चाँद मोहम्मद आखिर ने गजल कही तरक्की के दरख्तों को ख्ुाद ही हम छाँट बैठे है। दलों को वोट देकर हम, दिलों को बाँट बैठे हैं।। उमाशंकर मिश्र ने गजल पड़ी-बात सुनी न सुनाई लिख। खुद की ही अजमाई लिख।। युवा कवि विशाल कड़ा ने कविता पड़ी- अपनौ प्यारो हिंदुस्तान, काँटन पे चलके भी ईखों रखियों तुम सम्मान। कमलेश सेन ने कविता पढ़ी-मन के न मिले मौने मनके, सजन मोरे ऐसे गुननके।। रामगढ़ के राम सहाय राय ने रचना पढ़ी, हम बीते समय को सुधार रहे हैं। हम आने वाले समय की तैयारी में है। शायर अनवर खान साहिल ने गजल कही-खुद पड़ी गीले में, सूखे में सुलाया है उसे। करे जरुरत पूरी न रुलाया है उसे। डीपी शुक्ला सरस ने रचना पढ़ी-निकसे जडक़ारे के दिन बसंती आज निहारे है। गंडगी नदधार से ही अयोध्या सालिगराम पधारे है।। प्रभुदयाल श्रीवास्तव पीयूष ने रचना पढ़ी-लैके धनुस पालश पुष्प कें बान आम मौंरन के, जग जीतन ऋ तुराज आये है, संगे मीत मदन के।। शायर शकील खान ने गजल पढ़ी- जो नहीं जानते वफा उनसे, दिल न अपना कभी लगा उनसे।। इस दौरान सियाराम अहिरवार, रामबाबू सोनकिया, हरिराम राय आदि ने भी आपने विचार रखे। गोष्ठी के अंत में बुंदेली के प्रसिद्ध कवि डॉ दुर्गेश दीक्षित के निधन पर उन्हें दो मिनिट का मौन रखकर श्रृंद्धाजलि दी गयी। कवि गोष्ठी का संचालन मीनू गुप्ता ने किया तथा सभी का आभार लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव राना लिधौरी ने माना।