Unnao News: एक मात्र रोकी जाने वाली मौतों और बीमारियों का सबसे बड़ा कारण तम्बाकू है। चिकित्सा सेवा से जुडे लोग तम्बाकू का बीमारियों और स्वास्थ देखभाल के प्रति विशेष चिन्तित नहीं होते हैं इसलिये तम्बाकू सेवन जनित बीमारियाँ निरन्तर बढ़ रही हैं। यह बात छठे राष्ट्रीय त्रिदिवसीय (16-18 फरवरी) सम्मेलन के उदघाटन सत्र के अवसर पर ‘तम्बाकू अथवा स्वास्थ’ विषय पर समय रहते साहसिक प्रयास हेतु‘ तम्बाकू मुक्त भाारत’ के सम्मेलन के मुख्य अतिथि महानिदेशक, स्वास्थ सेवा, स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारम सरकार डा0 अतुल गोयल ने कही। उन्होंने ने कहा जब लोगो मे अधिक उत्पादकता की क्षमता होती है उससे पूर्व ही आकस्मिक मौते तम्बाकू का सेवन करने वालो की बहुत जल्दी हो जाती है।
डा0 गोयल ने कहा तम्बाकू सेवन शुरु करने और उसके दुष्परिणाम बीमारी या मृत्यु होने के बीच अपेक्षाकृत अधिक अन्तराल होता है इसलिए बहुत से राजनेता और जनमत बनाने वाले इस खतरे से जागरुक नहीं हुए। उन्होंने कहा 15 प्रतिशत छात्र 13 से 15 वर्ष की उम्र में ही तम्बाकू सेवन करने लगते है भारत में 3500 लोग प्रतिदिन और 13 लाख तम्बाकू से प्रतिवर्ष मर रहे हैं। उदघाटन सत्र में ही जनपद उन्नाव के गिरजेश पाण्डेय सहित पूरे देश से नरेात्तम सेखसरिया फाउन्डेशन द्वारा 10 लोगो को स्मृतिचिन्ह देकर सम्मनित किया गया और नकद 25000/-रू0 की धनराशि का चेक भी प्रदान किया गया।
राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम और सतत् विकास लक्ष्य 2030 के अतिरिक्त महानिदेशक स्वास्थ सेवा एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार डा0 एल0 स्वस्तिचरन ने कहा हर चार सेकेण्ड में एक की मौत हो रही है। धूम्रपान करने वाले हर 10 में से 9 लोग 18 साल के होने से पहले ही इस लत में पड़ जाते हंै। पैसिव स्मोकिंग बड़ो के साथ तीस प्रतिशत बच्चो को भी मौत का शिकार बना रहे है जो पैदा हुए धुएँ का शिकार होते है जो अप्रत्यक्ष रुप से सांस लने को मजबूर है। बच्चों और युवाओं को इसकी लत से बचाने के लिए सरकारो से स्कूलो में तम्बाकू सेवन पर प्रतिबन्ध लगाने का आग्रह किया गया है। डा0 चरन ने कहा प्रदेश से लेकर जनपद, तहसील, ब्लाक व ग्राम स्तर तक तम्बाकू नियंत्रण समिति बनाकर तम्बाकू की मांग को रोका जा सकता है तभी ‘‘तम्बाकू मुक्त भारत’’ का उद्देश्य व्यवहारिकता प्राप्त कर सकेगा।
संयोजक सचिव डा0 पुनीत यादव ने कहा नई महामारी तम्बाकू है, दुनिया भर में तीस करोड़ से ज्यादा लोग खाद्य आसुरक्षा का सामना कर रहे है, 120 से अधिक देशांे में तीस करोड़ हे0 से अधिक भूमि का उपयोग तम्बाकू उगाने में किया जा रहा है, उन देशों में भारी मात्रा में तम्बाकू उगायी जा रही है जँहा लोग भूखो मर रहे है। तम्बाकू से कंैसर, हृदय रोग, अस्थमा, ब्रांकाइट्सि, पैप्टिक अल्सर, नपंुसकता, प्रजनन क्षमता में कमी, मृत बच्चे का जन्म गर्भाशय कैंसर होने का खतरा होता है।
निदेशक अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ प्रबन्धन अनुसंधान संस्थान दिल्ली डा0 सुतापा बी नियोगी ने कहा 28.6 प्रतिशत जिसमे 42.4 प्रतिशत वयस्क पुरुष और 14 प्रतिशत महिलाएं तम्बाकू सेवन करती हैं। छठे राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्देश्य ‘‘तम्बाकू अथवा स्वास्थ’’ थीम पर तम्बाकू रहित वातावरण बनाना जिसमें प्रोफेशनल, रिसर्चर, एक्मेडिश्यन, सामाजिक सरोकारो से जुड़े लोग, जनप्रतिनिधि, मीडिया, नियोजक व तम्बाकू नियंत्रण हेतु विभिन्न हितधारको को एकजुटता प्रदान करते हुए तम्बाकू मुक्त भारत बनाना तथा तम्बाकू मुक्त विश्व का संदेश देना है। त्रिदिवसीय सम्मेलन में देश भर से लगभग 400 लोगों ने प्रतिभाग किया।