यायावर है अपना जीवन
यायावर है अपना चिंतन,
विचरण करता रहता है।
सकल विश्व की खुशहाली हित,
मंथन करता रहता है।
दुनिया के तानाशाहों को,
इल्म मनुजता की आ जाये।
हो जायें हथियार नष्ट सब,
यही प्रार्थना करता है।
शोषक से पोषक बन जायें,
तानाशाह सकल दुनिया के।
समरसता फैले समाज में,
सुखद भावना रखता है।
दुखी-गरीब सुखी हो जाये,
सबको वाजिब हक मिल जाये।
रहे न कोई विपन्न विश्व में,
यही कामना करता है।
तन बीमार भले हो “चन्द्र” का,
मन रहता बीमार नहीं।
रात-रात भर विचरण करके,
रोशन जग को करता ज्ञहै।
लेखक- डॉ.चन्द्रभान “चन्द्र”












