ग़ज़ल:
शराफ़त का जो गाएगा तराना!
उसे ही काट खाएगा ज़माना!
जो ख़ुद डूबे हुए हों उनकी ख़ातिर!
बताओ लाज़िमी क्या डूब जाना!
फ़क़त मांगी मोहब्बत कब कहा था!
सितारे आसमां से तोड़ लाना!
कोई जब थामने वाला न आया!
मेरे क़दमों ने छोड़ा लड़खड़ाना!
ज़रूरत सील देती है लबों को!
बहुत मुश्किल है खुल के मुस्कुराना!
