युवा मन दर्पण, तरुणाई एक स्पंदन::युवा मन है, युवा तन है, युवा जन है, युवा आज है, युवा कल है, युवा श्रेष्ठ है, युवा ज्येष्ठ है, युवा कृति है, युवा संस्कृति है, युवा राज है, युवा आज है, युवा आगाज है, युवा मन में लहरों की तरह उठती वह तरुणाई है, जो ऊर्जा का अतिरेक लेकर प्रकट होती है, जीवन जीने की वह अभिलाषा है जो धरती से आकाश तक उड़ान भरने को तत्पर रहती है,
किन्तु तरुणाई में असंतोष से उठी चिंगारी दावानल का रूप ले रही हो ऐसी स्थिति क्रांति को जन्म देती है ,
अठारहवीं शताब्दी के महानायक स्वामी विवेकानंद युवा थे, उनका अमेरिका ( शिकागो)में भाषण भारत की प्रभुता को ही नहीं बल्कि विश्व के युवा मन में ज्ञान की परम सत्ता का रसपान करा रहा था, स्वाधीनता आंदोलन में तरुणाई ने हुंकार भरी भारत माता जग गई, ब्रिटिश हुकूमत भाग गई, 1974 में मन से युवा जय प्रकाश नारायण ने युवाओं को जगाया, तत्कालीन सत्ता सरकार ने दमन पूर्वक कुचलने का कुत्सित प्रयास किया लेकिन तरुणाई ने इंदिरा की तानाशाह सरकार का तख्ता पलट कर दिया,
हिंसा हिंसा है उसे किसी विचार में रंगना पाखंड है, भारत का युवा मन भी विदेशी विचारधारा ने प्रभावित किया, कुछ ऐसी ही स्थित नेपाल में देखने को मिल रही है, नेपाल स्वतंत्र राष्ट्र है जो कभी गुलाम नहीं हुआ, आर्थिक रूप से पिछड़ा लेकिन युवा मन मेहनत के रंग में रंगा जीवन में सकारात्मकता के साथ सतत रूप से प्रगति पथ पर अग्रसर था, आज वहां का युवा हिंसक हो चुका है, क्रोध में बोध को खो चुका है, लॉ एंड ऑर्डर जैसा कुछ भी नहीं बचा, सौहार्द सिसकियां ले रहा है, हर तरफ आन्दोलनकारी ही नजर आ रहे है, ऐसी ही स्थित पिछले साल बांग्लादेश में देखने को मिली ,
शेख हसीना सरकार के दमन के दौरान वहां का युवा अल्पसंख्यक हिंदुओं को बर्बरता पूर्वक कुचलने लगा,यह एक धर्म का दूसरे धर्म के प्रति प्रेम का नहीं बल्कि नफरत की भावना का प्राकट्य था।

भारत के कश्मीर में भी जेहादी युवाओं को भड़का कर, धन देकर हाथ में कलम नहीं बल्कि पत्थर थमाते है,यह युवाओं का घटिया दुरुपयोग है, ऐसे कृत्य विश्व शांति के लिए चुनौती है, भारत को शक्ति सम्पन्न मेघा से लबालब देश प्रेमी युवा चाहिए ना कि कायर,पथभ्रष्ट अनुशासन हीन निराश पूर्ण युवा ?