एक जूते ने प्रधानमंत्री की कुर्सी छीन ली, वजह सैकड़ों हैं उनके जाने की मगर जिस तस्वीर ने नेपाल के घर घर में आँसू ला दिए,वह है यह जूता,जो कहानी कह रहा कि मरने वाला मासूम बच्चा है। क्या गुनाह होगा उसका की उसके सर से बहा खून,पांव में पड़े जूते तक को डुबो गया होगा, जूता उस मासूमियत में लिपटी तक़लीफ़ को बयान कर रहा है।
जानते हैं आप,बस एक प्रतीक चाहिए होता है । सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए ऐसा प्रतीक, जो हर एक से जुड़ जाए । लोग तमाम कहानी कहेंगे की यह हुआ,वह हुआ मगर जिसने घर घर आंसुओं को झकझोर दिया,वह यह जूता है, दर्द,तक़लीफ़,अहंकार की कहानी बयान करता हुआ।
आपको यह समझना चाहिए,हर क्रांति को एक प्रतीक चाहिए होता है। जो झकझोर दे, बंग्लादेश में गोली खाए उस नौजवान को देखिए,जो सीना खोले सामने खड़ा था और एक गोली उसके पार कर गई। वहां की हुकूमत उखड़ गई, जिन्हें थोड़ा अपने आंगन का याद हो,वह याद करें निर्भया को उस लड़की के साथ जो दरिन्दगी की तस्वीर उभरी,वह सत्ता को उखाड़ फेंकने तक प्रतीक बनी रही। खून से भीगे उसके कपड़े,घर घर में उदासी और गुस्से को जन्म दे गए, सत्ता उखड़ गई।
यही होता है, नेपाल हो,बंगलादेश हो या कोई भी देश,वहां धीरे धीरे माहौल बनता है। फिर कोई एक घटना उस पूरे माहौल को क्रांति में बदल देती है। नेपाल में सोशलमीडिया बैन से युवा इकट्ठे हुए,उनपर गोली चली, कुछ मर गए मगर यह जूता पीछे छूट गया, यह जूता कल से घर घर में देखा गया और इसने उस सत्ता को उखाड़ दिया,जो उखड़नी ही थी।
नेपाल पर बहुत कुछ लिखा जा सकता है। जैसे बंगलादेश, लंका पर लिखा जा सकता था। मगर इस वक़्त यही देखिए कि कैसे कोई एक घटना,चिंगारी का काम करती है। मैं यह मानता हूं कि बहुत कुछ स्क्रिप्टेड होता है मगर चिंगारी नही,बस समझदार लोग उस चिंगारी का इंतज़ार करते हैं। जैसे ही वह उठती है, आदमी पेट्रोल बन जाता है और फिर सब कुछ तहस नहस हो जाता है।
अमरीका के हाथ को कोई लोग देख रहे, कोई चीन के हाथ को मगर यह भोले लोग यह मानने को नही तैयार की इंदिरा जी की भी सत्ता हटाने में इन्ही हाथों का हाथ था। मनमोहन जी को भी निपटाने में इनमे से कोई हाथ था । बहुत कुछ कहा जा चुका है, बहुत कुछ समझिये भी,यह जान लीजिए,चीज़ें वैसी नही हैं, जैसी दिख रही हैं।
सत्ता परिवर्तन के इस खेल को समझियेगा,तो इराक़, लीबिया,ग़ज़ा,पाकिस्तान,बंगलादेश,लंका,अफगानिस्तान,सीरिया और अब नेपाल को देख लीजिए। ईरान ने किस मुश्किल से अपनी सत्ता बचाई है, मनमोहन जी ने सारे प्रयास करके सत्ता गवाई थी। आखरी के दो साल याद कीजिये। आज मत देखिए,कल जो हो चुका,उसे देखिए। सारे तार, एक जगह से जुड़े हैं। हर जगह महाशक्तियों के पपेट ही बैठे।
ख़ैर, नेपाल को देखिए। इस जूते को देखिए और सोचिये यह तस्वीर क्या कह रही है।
नेपाल के बहाने Gen Z पर भी एक मोहर लग गई, अगर यह जेनरेशन भी अड़ जाए,तो हुक़ूमत को घुटनों के बल बैठना पड़ता है। जेन ज़ी ने भी सत्ता परिवर्तन की अपनी कोशिश पूरी करके दिखा दी, नेपाल के जेन ज़ी ने भरोसा कमा लिया कि वह सिर्फ रील्स में मस्त नही है, बल्कि उनकी पसन्द पर डाका डालने वालों को हटा भी सकते हैं।
चीन और अमरीका की इस कशमकश में वही गुलाब और शेरवानी वाला पहला पीएम बचाएगा। यह बात जितनी जल्दी समझ आ जाए,उतना बेहतर। जितना उसे गाली दोगे, उतना अपने पांव कमज़ोर करोगे।
… लेखक- हाफ़िज़ किदवई