मुख्यधारा से पिछड़ गए हर जाति,धर्म,वर्ग चाहते है कि काश उनके आंगन में कोई मुलायम सिंह जैसी शख्सियत जन्में,वह मुलायम सिंह जो कुंठा के बीज नही बोते,बल्कि सबको साथ लेकर चलते हुए,रास्ता बनाते हैं। वह निराशा की बात नही करते,बल्कि मुस्कुराते हुए जिंदादिली से रास्ते बुन जाते। वह दो लोगों के बीच नफरत की खेती नही करते, बल्कि सबके फ़ायदे की फसल उगाने में यक़ीन रखते।
मुलायम सिंह जी की जो सबसे बड़ी बात है, वह है कि जिस भी कमज़ोर को मज़बूत करने खड़े हुए,उसे डराया नही,बल्कि आगे बढ़ने को कहा। उन्होंने किसी वर्ग के ख़िलाफ़ घृणा नही फैलाई, बस जो रास्ता तय किया,उसे सकारात्मकता से सींचकर बुन दिया। पिछड़ो की लड़ाई लड़ी तो अगड़ों को नीचा नही दिखाया। अगड़ों को समझाया,तो पिछड़ों को उठाया, अगड़ों और पिछड़ों से कहा कि अल्पसंख्यक तुम दोनों की ज़िम्मेदारी हैं। अल्पसंख्यक से कहा कि तुम अपने अधिकार का भरपूर इस्तेमाल करो,क्योंकि यह मिट्टी भी तुम्हारी उतनी है, जितनी बहुसंख्यकों की,बस सब लोग आपस में नफरत मत करो।
आदमी तो पहाड़ थे मुलायम सिंह जी,उनकी ज़िन्दगी को देखिये। तो समझ आएगा कि एक छोटी सी ज़िन्दगी में कितने ऊँचे कीर्तिमान गढ़े जा सकते हैं। वह भी ऐसे कीर्तिमान नही जो सिर्फ़ आपके कंधों पर सजे,बल्कि हज़ारों लोगों के कंधों पर सजे और वह अपने अपने समाज में ऊंची पहचान बनें।
उनके कार्यकर्ताओं ने बड़ी मोहब्बत से उन्हें नाम दिया “नेता जी” और सच में वह नेतृत्व करने में और युवाओं को मुख्यधारा की राजनीति में लाने के मामले में नेता जी ही हो गए। जितने उत्साहित,जोशीले और ऊर्जावान युवा आज उनके दल में हैं, शायद ही कहीं हों।
मुलायम सिंह जी की ज़िन्दगी के बहुत से हिस्से हैं। कुछ बड़े ऐतिहासिक नेताओं के साथ उनके सम्पर्क,सम्बंध और कार्य हैं। कुछ नए नेताओं को स्थापित करने में उनकी गिनती है। बतौर मुख्यमंत्री और रक्षामंत्री उनके सैकड़ों काम हैं, जिनपर लंबी बातचीत की जा सकती है। अपने दल को बनाने,उसे खड़ा करने और उसे नया नेतृत्व देने में उनकी भूमिका पर बहुत लंबी बातचीत सम्भव है। दोस्तों के लिए किस हद तक खड़ा रहा जा सकता है, इसपर भी बात हो सकती है। दुश्मनों से कितना लड़ना है, कैसे लड़ना है, ज़बान कैसी रखनी है, इसपर भी अच्छी बातचीत हो सकती है। मीडिया के इस्तेमाल, उनसे निजी सम्बंध और उन्हें मज़बूत करने पर भी हम लोग काफ़ी बात कर सकते हैं।
दो धर्मो के बीच एका कैसे रखा जाए,उसके लिए कितनी मज़बूती से खड़े हों और क्या क्या कदम उठाएं। इसपर भी खूब बात हो सकती है,उनके अच्छे और कुछ बुरे बयानों पर भी बात हो सकती है। मगर जब हम समग्रता से देखेंगे तो ज़िन्दगी में खामियां बहुत थोड़ी सी हैं। अच्छाइयां बहुत ज़्यादा,जिसका असर यह रहा कि वह एक बहुत बड़े राज्य के भाग्य बनकर दशकों छाए रहे, अगर उन्होंने दो बोल,दो बयान ग़लत दिए। तो अनगिनत बोल,अनगिनत बयान बहुत बेहतरीन भी दिए, दो कदम हमारी समझ से उलट चले,तो सैकड़ों क़दम बहुत बेहतर भी चले। एक इंसान ही तो थे,जिनको समग्रता से देखिए तो कमी कम और अच्छाई बहुत ज़्यादा दिखाई देगी।
आज मुलायम सिंह जी का जन्मदिवस है, सैफ़ई में जन्में वह भारतीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएंगे,भला किसने सोचा था। आप उनकी ज़िंदगी को वहां से देखिये,तो एक बात समझनी होगी,यह उनका ख़ुद का देखा सपना था,जिसका कोई अभिभावक नही था,उसे उन्होंने पाला,पोसा,पोषण दिया और एक बेहतरीन नौजवान बनाकर, सबके सामने खड़ा कर दिया,एक ऐसा दल बना दिया,जिसने प्रदेश को अपने दम पर दो मुख्यमंत्री दिए और सहयोग से तीन मुख्यमंत्री दिए। यह एक बहुत बड़ा कारनामा है, लोग एक दो लाइन,एक दो बयान,एक दो कदम से किसी का भी कद घटा बढ़ा देते हैं, बिना यह देखे की मिट्टी से निकलकर आना और साथ ही दूसरों को निकालना,कितना बड़ा कारनामा है। देश में लड़कियों को ऊंची शिक्षा की तरफ ले जाने के लिए एकमुश्त हज़ारों रुपये का वज़ीफ़ा उन्होंने दिया। इंटर पास लड़की को पच्चीस हज़ार फिर पचास हज़ार,वह भी उस ज़माने में कन्या विद्या धन के नाम से भला किसने दिया,कोई नाम बताइये।
उन्होंने बहुत लोगों की मदद की,उनमें कुछ अच्छे तो कुछ बुरे भी थे। बहुत से लीडर बनाए,उनमें भी दोनों तरह के लोग थे,मगर यह देखिये, इस आदमी ने न नही की,बस खड़ा रहा। राजनीति में ऐसे दांवपेंच चले कि वह एक बड़े राज्य के दरवाज़े खोलने की आवश्यक मोहर हो गए। 90 के दशक में जब देश भयंकर नफरत की चपेट में था,तब यह चट्टान बनकर खड़े हुए,बिना यह देखे की उन्हें क्या मिलेगा। टाडा जैसे काले कानून के ख़िलाफ़ खड़ी सबसे सशक्त आवाज़ थे मुलायम सिंह जी बताते हैं कि उस समय उनका कार्यालय लोगों को तरसता था मगर उनका जो स्टैंड था। उस विचार को ज़िन्दा रखने के लिए,जिसपर देश टिका है। वह डटे रहे,आख़िर में लोग आने लगे, मान गए कि मुलायम सिंह जी का ही रास्ता सही है।
आज जन्मदिन पर आपको नमन, श्रद्धांजलि। आपने अनवरत काम किये, कभी लोगों से उकताए नही,कभी मिलने से ऊबे नही। कभी लोगों की भीड़ देख आंख नही चुराई,बहुतों की मदद की और बहुतों के कद भी छांटे जो सियासत में ज़रूरी था, आपने हर वह काम किया,जो ज़रूरी था।
भारतीय राजनीति की एक महत्वपूर्ण कड़ी रहे,पूरे एक समाज के आदर्श और विचारों के प्रति दृढ़ रहे मुलायम सिंह जी को नमन और श्रद्धांजलि।
लेखक- हाफ़िज़ किदवई











