बिस्मिल और अशफाक जहां पर,
खेले – कूदे पढ़े – लिखे थे।
उस धरती को शीश झुकाओ,
उसे हृदय से नमन करो।
जो शहीद हो गये राष्ट्र हित,
संस्कार तुम उनसे सीखो।
आजादी पर आंच न आये,
कुछ ऐसा आचरण करो।
डालकर फंदा फांसी वाला,
हंसते- हंसते झूल गये जो।
उनकी झुककर करो अकीदत,
उन्हें समर्पित सुमन करो।
उसी राष्ट्र से करो मैत्री,
जो सम्मान करे भारत का।
जहां अनादर मिले राष्ट्र को,
वहां न बिल्कुल भ्रमण करो।
डरो न तुम आतंकवाद से,
दुश्मन के तीखे तेवर से।
मित्रों को सम्मानित करके,
दुष्टों का रिपु दमन करो।
खत्म बोध जब हो जायेगा,
दुनिया तुमको नमन करेगी।
भारत का विकास कैसे हो,
इस पर चिंतन मनन करो।
नन्हें मुन्ने प्यारे बच्चों,
तुम्हीं राष्ट्र के कर्णधार हो।
जिससे गरिमा घटे राष्ट्र की,
मत ऐसा आचरण करो।
लेखक- डॉ. चन्द्रभान “चन्द्र”
५०४, न्यू कल्याणी देवी, सिविल लाइन्स, उन्नाव-२०९८०१ (यू०पी०)











