उन्नाव। जनपद उन्नाव के चकलवंशी क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता का बड़ा खेल सामने आया है। यहां वर्षों से फर्जी मेडिकल स्टोर और अवैध क्लीनिक के जरिए मासूम मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, दिनेश गुप्ता नामक व्यक्ति लंबे समय से बिना किसी मेडिकल डिग्री और लाइसेंस के “सुंदर मेडिकल स्टोर” चला रहा है। बिना अनुमति, बिना रजिस्ट्रेशन के यह मेडिकल स्टोर खुलेआम मौत की दवाइयां बेच रहा है। इसी के पास अटवा निवासी गिरजा शंकर तिवारी ने बिना किसी चिकित्सकीय योग्यता और लाइसेंस के क्लीनिक खोल रखा है। यह शख्स खुद को डॉक्टर बताकर इलाज करता है, जबकि इसके पास इलाज करने का कोई अधिकार नहीं है। यह धंधा सीधा-सीधा ‘मौत का सौदा’ साबित हो रहा है।
मौत के सौदागर, प्रशासन मौन!
ग्रामीणों का कहना है कि यह फर्जीवाड़ा वर्षों से जारी है। कई लोग इनकी वजह से गलत दवाइयों और झोलाछाप इलाज से पीड़ित हो चुके हैं। इसके बावजूद न तो स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और न ही प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम उठाया। लोगों का कहना है कि यह सब बिना संरक्षण के मुमकिन नहीं। सवाल उठता है कि आखिर जिम्मेदार अफसर किसके इशारे पर आंखें मूंदे बैठे हैं?
कानून क्या कहता है?
बिना लाइसेंस मेडिकल चलाना ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 का सीधा उल्लंघन है। बिना डिग्री इलाज करना इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट और क्वैकरी (झोलाछाप प्रैक्टिस) कानून के तहत गंभीर अपराध है। दोषियों पर जुर्माना, क्लीनिक/मेडिकल सीज करने के साथ-साथ जेल तक की सजा का प्रावधान है।
जनता की मांग – अब बर्दाश्त नहीं!
ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि : सुंदर मेडिकल स्टोर और गिरजा शंकर तिवारी का क्लीनिक तत्काल प्रभाव से सीज किया जाए। दोषियों पर कठोरतम कानूनी कार्रवाई की जाए। पूरे जनपद में फर्जी मेडिकल और झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान चलाया जाए।