जिला ब्यूरो/ मनोज सिंह
टीकमगढ़। कहते हैं कि कठिन समय में सामने आने वाले हाथ ही समाज की असली ताक़त होते हैं। एक बार फिर यह साबित हुआ कि इंसानियत केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कर्मों में जीवित है। जरूरत के समय थाना पदस्थ सतीश शर्मा ने आगे बढ़कर ब्लड डोनेशन किया और यह संदेश दिया कि वर्दी केवल कर्तव्य की नहीं, बल्कि संवेदनशीलता और मानवता की भी पहचान है।
ड्यूटी से परे जाकर किसी अनजान की जान बचाने के लिए किया गया यह रक्तदान न केवल प्रशंसनीय है, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।
ऐसे कर्मवीर ही जनता के मन में विश्वास और सुरक्षा की भावना को मजबूत करते हैं।
इसी मानवीय श्रृंखला में ईशानिक फाउंडेशन के आशीष जैन ने भी अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। एक छोटे से अनुरोध पर उन्होंने अपने पारिवारिक कार्य को एक ओर रखते हुए बिना विलंब अस्पताल पहुँचकर डिलीवरी के समय एक महिला के लिए रक्त की तत्काल व्यवस्था कराई। यह सहायता कोई औपचारिक जिम्मेदारी नहीं,बल्कि संवेदनशीलता, तत्परता और सच्ची सेवा भावना का जीवंत उदाहरण थी।
इस पूरे घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब समाज के अलग-अलग वर्ग—पुलिसकर्मी और समाजसेवी—एक साथ मानवता के लिए खड़े होते हैं, तो जीवन बचाने की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। सतीश शर्मा और आशीष जैन जैसे लोग यह भरोसा जगाते हैं कि आज भी समाज में ऐसे लोग मौजूद हैं, जो ज़रूरत पड़ने पर शब्द नहीं, कर्म को प्राथमिकता देते हैं।
ऐसे प्रयास न केवल एक जीवन बचाते हैं, बल्कि पूरे समाज को यह संदेश देते हैं कि मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है।
सतीश शर्मा और आशीष जैन—दोनों को सलाम, क्योंकि यह सिर्फ मदद नहीं, सच्चा जीवनदान है।











