जिला ब्यूरो/मनोज सिंह
टीकमगढ़—जिला अस्पताल में जतारा क्षेत्र की महिलाओं के लिए शुक्रवार रात लगाए गए नसबंदी शिविर ने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का कड़वा चेहरा फिर उजागर कर दिया। ऑपरेशन के बाद मरीजों को वार्ड तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं थे। हालात ऐसे रहे कि महिलाओं को परिजन अपने हाथों में उठाकर इधर-उधर ले जाते रहे। अस्पताल की अव्यवस्था का यह दृश्य किसी भी जिम्मेदार व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
एक ही पलंग पर दो-दो मरीज, दर्द पर दर्द
परिजनों ने बताया कि ऑपरेशन के तुरंत बाद महिलाओं को स्ट्रेचर देने के बजाय एक ही पलंग पर दो-दो मरीजों को लिटा दिया गया। इससे मरीजों को भारी असुविधा हुई। कई महिलाएं दर्द से कराहती रहीं, लेकिन व्यवस्थाओं में सुधार की कोई कोशिश दिखाई नहीं दी।
घर ले जाने की व्यवस्था नहीं, परिजन को करना पड़ा किराए के वाहन का इंतजाम
लुहारगुवां गांव से आए नितेंद्र सिंह घोष ने बताया कि वह अपनी चाची को नसबंदी ऑपरेशन कराने जिला अस्पताल लाए थे। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से न तो मरीज को लाने के लिए वाहन दिया गया और न ही घर ले जाने की कोई व्यवस्था की गई। परिवार को 1100 किराए पर वाहन करके अस्पताल आना पड़ा और अब ऑपरेशन के बाद उसी वाहन से घर लौटना पड़ रहा है।
कौन था जिम्मेदार—जवाबदार गायब
इस शिविर की जिम्मेदारी बीएमओ अंकित साहू के पास थी। वहीं, जब इस पूरे मामले पर प्रभारी सीएमएचओ पीके माहौर से बात करने का प्रयास किया गया, तो उनका फोन लगातार स्विच इन रेंज होते हुए भी रिसीव नहीं हुआ। विभाग की चुप्पी ने अव्यवस्थाओं की गंभीरता और बढ़ा दी है।
टीकमगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की यह तस्वीर बताती है कि योजनाओं के प्रचार से कहीं ज्यादा जरूरी है व्यवस्थाओं को धरातल पर उतारना। नसबंदी जैसे संवेदनशील अभियान में यदि मरीजों को स्ट्रेचर और वाहन जैसी बुनियादी सुविधाएं ही न मिलें, तो यह केवल लापरवाही नहीं—व्यवस्था की विफलता है।












