मनोज सिंह/जिला ब्यूरो
टीकमगढ़। आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम 2005) को लेकर टीकमगढ़ मत्स्य विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। टीकमगढ़ जिले के आवेदक ने विभाग पर जानबूझकर सूचना रोकने और आवेदक को परेशान करने का आरोप लगाते हुए राज्य सूचना आयोग, भोपाल में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है।
फीस वसूली, पर सूचना गायब
शिकायत के अनुसार आवेदक ने 27 जून 2025 को मत्स्य विभाग से सूचना माँगी थी। नियमानुसार 30 दिन के भीतर जानकारी मिलना थी, लेकिन विभाग ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद 25 जुलाई को आवेदक को पत्र भेजकर स्वयं कार्यालय आकर अवलोकन करने की बात कही गई।
जब उन्होंने इस पर आपत्ति दर्ज कराई, तो आनन-फानन में 1400 शुल्क जमा कराने का आदेश जारी कर दिया गया। आवेदक ने 1 अगस्त को राशि जमा कर रसीद भी प्राप्त कर ली, लेकिन इसके बाद भी पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई।
470 पन्ने थमाए, 700 का दावा
शिकायतकर्ता के मुताबिक विभाग ने पहले केवल 470 पन्नों की अप्रमाणित कॉपी थमाने का प्रयास किया, जबकि स्वयं विभाग ने यह दावा किया था कि कुल 700 पृष्ठ उपलब्ध हैं। जब आवेदक ने सवाल उठाए, तो उन्हें टालमटोल और धमकाने तक की कोशिश की गई।
भ्रष्टाचार छिपाने का आरोप
आवेदक का आरोप है कि यदि जानकारी भ्रष्टाचार से जुड़ी है तो उसे दबाने के लिए विभागीय अधिकारी जानबूझकर आरटीआई कानून की अवमानना कर रहे हैं।
आयोग से कड़ी कार्रवाई की माँग
अब यह मामला राज्य सूचना आयोग की चौखट तक पहुँच गया है। शिकायत में मांग की गई है कि संबंधित लोक सूचना अधिकारी और सहायक संचालक पर 25,000 का जुर्माना लगाया जाए, वसूले गए 1400 वापस लौटाए जाएँ और संपूर्ण जानकारी निःशुल्क उपलब्ध कराई जाए।
बॉक्स – 1
1400 की फीस ली, सूचना फिर भी अधूरी
विभाग ने 700 पन्नों का दावा किया
मात्र 470 पन्ने देने का प्रयास, वो भी बिना प्रमाणित
बाकी दस्तावेज़ आज तक नहीं दिए
बॉक्स – 2
राज्य सूचना आयोग पहुँची शिकायत
आवेदक ने भोपाल में दायर की अर्जी
सहायक संचालक पर 25 हजार जुर्माने की माँग
जमा राशि लौटाने और पूरी सूचना मुफ़्त में देने की अपील












