जिला ब्यूरो/ मनोज सिंह
टीकमगढ़। नगर पालिका इन दिनों पूरे शहर में नालियों की सफाई, जल निकासी की व्यवस्था और अतिक्रमण हटाने जैसे जरूरी कार्यों में सक्रिय नजर आ रही है। कहीं जेसीबी चल रही है, तो कहीं सफाईकर्मी कमर कसकर नालियों से कीचड़ निकाल रहे हैं। परंतु इस समूचे अभियान के बीच एक ऐसा चौराहा भी है जहां सवाल खड़ा है कि क्या नगर पालिका की नजर वहां तक नहीं पहुंची, या फिर वहाँ खड़े
अतिक्रमण के सामने भी शासन-प्रशासन का सिर झुक गया?
बात हो रही है – शहर के हृदय स्थल ‘सेल सागर चौराहा’ की।
यह वह स्थान है जहाँ पर एक नाला वर्षों से अस्तित्व में है, लेकिन उसकी हालत आज ऐसी है कि नाले पर ही स्थायी दुकान खड़ी कर दी गई है। सवाल यह नहीं कि यह दुकान क्यों बनी – सवाल यह है कि इस नाले की सफाई कैसे होगी? अगर बारिश आई, तो क्या यह नाला पानी बहा पाएगा या यही पानी आसपास की सड़कों और गलियों में उफनकर नागरिकों के लिए मुसीबत बन जाएगा?स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह नाला न केवल अतिक्रमण की भेंट चढ़ा है बल्कि तकनीकी रूप से भी गलत दिशा में बना है, जिससे जल निकासी बाधित होती है। ऐसे में नगर पालिका का मौजूदा सफाई अभियान इस विशेष स्थान पर बेमानी साबित हो सकता है।
निगरानी या अनदेखी?
नगर पालिका द्वारा चलाया जा रहा यह अभियान यदि पूरे शहर को जलभराव से मुक्त करने का दावा करता है, तो उसे सबसे पहले ऐसे संवेदनशील और अतिक्रमणग्रस्त क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए जहां से वर्षा जल का प्रवाह अवरुद्ध हो रहा है। यदि समय रहते सेल सागर चौराहे के इस अव्यवस्थित नाले की जांच नहीं की गई, तो आने वाले मानसून में स्थिति बेकाबू हो सकती है।