मुझको मेरी दुआओं में असर चाहिए।
जिन्दगी की राहों में तू ही हमसफर चाहिए।
इश्क का मोती पाना है गर,
आग के दरिया में डूबने का जिगर चाहिए।
किसी का दिल मांग कर लिया जाता नही,
इसके लिए तो मनु चोरी का हुनर चाहिए।
इंसाफ मिलता ज़रूर है उसकी अदालत में,
इंतजार में बेशुमार सबर चाहिए।
ये दौलत ये शोहरत उन्हें दे दो खुदा,
मुझे तो उनकी पनाहो में बसर चाहिए।
गर उन्हें भी रखना है मेरा ख्याल,
कैफियत जानने को थोड़ी सी फिकर चाहिए।
तेरे साथ सात फेरे तो क्या निकाह भी कुबूल है,
वफा का वादा बतौर मेहर चाहिए।
प्रज्ञा पाण्डेय मनु वापी गुजरात