सफीपुर उन्नाव । आतताई अधर्मी असुरों का बध कर धराधाम पर व्याप्त अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करने के लिये भगवान कृष्ण ने सभी कलाओं व शक्तियों के साथ अवतार लिया और विभिन्न लीलाओं के माध्यम से अधर्मी पापियों का नाश कर धर्म की स्थापना की ।
उक्त उदगार नैमिषारण्य तार्थ से पधारे कथा व्यास पं0 मुनीन्द्र पाण्डेय जी ने क्षेत्र के सकहन राजपुतान गांव स्थित प्राचीन सिद्ध हनुमान मंदिर व सती माई प्रांगण मे आयोजित सप्त दिवसीय सन्गीतमई श्रीमद भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ मे भगवान श्री कृष्ण जन्म की कथा सुनाते हुये व्यक्त किये । उनका कहना था कि जब धरा धाम पर अत्याचारी अन्याई अनाचारी असुर पापियों द्वारा पापाचार बढता है तो धरती माँ पापियो के पाप से बोझिल हो जाती है और पापियो के भार से मुक्त करने के लिये धरती प्रभु से गुहार करती है । तब प्रभु धरा धाम पर पापियों अधार्मियोँ का नाश करने तथा धर्म की स्थापना करने के लिये भगवान श्री कृष्ण ने देवकी के गर्भ से जेल मे अवतार लिया और आतताई अत्याचारी अधर्मी अपने मामा कंस सहित पापी असुरों का नाश किया।
कथा व्यास ने श्री कृष्ण अवतरण कथानक सुनाते हुये कहा कि मथुरा के राजा उग्रसेन का पुत्र कंस असूरी प्रवत्ति का अत्याचारी था जिसने अपने पिता को ही बन्धक बनाकर जेल मे डाल दिया और राजगद्दी पर आसीन हो गया और अत्याचार अन्याय अधर्म का राज करने लगा । धरा धाम आसुरी शक्तियो और पाप से पीड़ित हो गई पाप से बोझिल धरती माँ ने प्रभु से आग्रह किया तो उन्होने कहा कि शीघ्र ही ब्रज मे भगवान का अवतार होगा । इधर कंस मामा का पाप बढ़ता गया उसने अपनी चचेरी बहन देवकी के बिवाह की ठानी और वासुदेव के साथ विवाह कर दिया जब कंस अपने रथ से देवकी वसुदेव को विदा करने जा रहा था उसी समय आकाशवाणी सुनाई दी कि कंस जिस देवकी को खुश होकर विदा करने जा रहा है उसी का आठवां लाल तुम्हारा काल होगा बस कंस भयाक्रांत हो गया और तुरंत देवकी व वसुदेव को मारने की ठान ली उसी समय पत्नी की रक्षा का बचन देने वाले वसुदेव ने कंस को बचन दिया कि देवकी को जीवन दान दे दो हम उसके सभी बच्चों को तुम्हे सौंप दूँगा इसी शर्त पर कंस ने देवकी को मारने के इरादे को त्यागकर जेल मे कैद कर दिया। जहाँ समय समय से क्रमशः पुत्री पुत्र होते गए प्रथम पुत्री हूई जिसे मारने का इरादा कंस ने बदल दिया उसी समय देवर्षि नारद ने कंस की मति फेरी और सभी देवकी के बच्चो की हत्या करने के लिये प्रेरित किया अन्तत: कंस ने एक एक कर उन सबकी निर्मम हत्या कर दी । सातवां गर्भ संकर्षण हो गया अर्थात वह गर्भ रोहिणी के गर्भ मे स्थापित कर दिया गया । और आठवे गर्भ से भगवान कृष्ण जेल मे अवतरित हुये और देवकी बासुदेव की बताया गोकुल मे बाबा नन्द के घर हमे पहुचा दो और वहां से कन्या को ले आओ प्रभु कृपा से सभी जेल के जंगी ताले ह्ँथकडी बेडियाँ टुट गई और पहरेदार मुर्क्षित हो गए उसी बीच योजनानुसार वसुदेव ने कृष्ण को लेकर गोकुल चले गए यसुदा के पास लिटा दिया वहां से माया रुपी कन्या लेके आ गए आते ही ताले बन्द हो गए हाँथकडी बड़िया लग गई पहरेदार जग गए कन्या रोने लगी जन्म की सूचना हूई तो कंस ने उसे भी मारने के उठाया ज्योही पतक्ना चाहा तो छूट गई और आसमान मे बिलुप्त हो गई आकाश्बाणी हूई कंस तू मुझे क्या मारेगा तुझे मारने वाला गोकुल मे पैदा हो चुका है । इससे कंस व्याकुल और परेशान भयभीत हुआ तो कृष्ण के मारने के लिये तामाम युक्तियाँ करने लगा असुरों को भेजा जिन्का उद्धार और मोक्ष कृष्ण ने किया । पूतना को भेजा जिसने माँ स्तनो मे हलाहल कालकूट विष लगाकर मारने की कोशिश की जिसकी इच्छा पूर्ति करते हुये मां का स्थान दिया और दुग्ध पान के साथ प्राण भी पी गए अर्थात मोक्ष दे दिया । इसी क्रम मे कंस के भेजे हुये सकटासुर तृनाव्रत आदि असुरो का भी उद्धार किया और माखन चोरी की मनोरम लीलाये करके बाल लीलाओं के द्वारा वृज वासियों को आनंदित करते रहे ।
इस अवसर पर नैमिषारण्य से पधारे श्री श्री 108 दंडी स्वामी दिवाकर जी महाराज ने भी सभी भक्तो श्रोताओं को आशीर्वाद दिया ।
अरविंद तिवारी TV भारत न्यूज नेटवर्क सफीपुर संवाद दाता