अब तुम अपना ख्याल रखना, संभाल कर हुस्न-ओ-जमाल रखना।
कभी थे दो जिस्म एक जान हम, बस इस बात का ख्याल रखना।।
आंखो के बरसने के मौसम नही होते,साथ में हरदम वो रेशमी रुमाल रखना।
किसी मोड़ पर कभी मिल जाए अगर, कैफियत पूछने की बोलचाल रखना।।
तुमको कितना याद किया हमने,लब पे हरदम ये सवाल रखना।
जो भी हुआ दरमिया अच्छा ही हुआ,किसी बात का ना कोई मलाल रखना।।
प्रज्ञा पांडेय मनु वापी गुजरात
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